
स्वप्निल कुसाले और पेरिस ओलंपिक के बीच संघर्ष की कहानी
दोस्तों स्वप्निल कुसाले ने पेरिस ओलंपिक में क्वालिफाई करने के लिए पूरे 12 सालों का इंतजार किया है. ये खिलाड़ी 2012 से प्रोफेशनल शूटिंग कर रहा है लेकिन वो पिछले दो ओलंपिक में क्वालिफाई नहीं कर पाए. लेकिन इस खिलाड़ी ने अपनी कोशिश जारी रखी और आखिरकार इस खिलाड़ी को सफलता मिली. कुसाले पिछले 10-12 सालों से घर से बाहर ही रहते हैं और ये सब उन्होंने निशानेबाजी में ओलंपिक मेडल जीतने के लिए किया है. इस खिलाड़ी के पिता ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनका बेटा घरवालों से दूर ही रहता है और मेडल मैच से पहले किसी ने भी कुसाले से फोन पर बातचीत नहीं की.
स्वप्निल कुसाले ने बताया कि शूटिंग में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उन्होंने धोनी से प्रेरणा ली है. कुसाले ने एक इंटरव्यू में बताया कि वो निशानेबाजी में किसी खास खिलाड़ी से मार्गदर्शन नहीं लेते. लेकिन अन्य खेलों में धोनी ही उनके फेवरेट हैं. कुसाले ने कहा कि शूटिंग में शांत रहना जरूरी है और धोनी की ये खूबी उन्हें खूब भाई. बड़ी बात ये है कि धोनी ने भी रलवे में बतौर टीसी अपने करियर की शुरुआत की थी और कुसाले भी सेंट्रल रेलवे में टीसी ही हैं. वैसे पेरिस ओलंपिक में मेडल जीतने के लिए कुसाले ने मनु भाकर से प्रेरणा ली.
दोस्तों वैसे तो पूरा देश जनता ही है फिर भी हम आपको बताना चाहते है कि महाराष्ट्र के रहने वाले स्वप्निल कुसाले शूटर ने 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. शूटिंग के इस इवेंट में भारत को पहली बार ओलंपिक मेडल मिला है.
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